डायबिटीज़ क्यों है चिंता का कारण?
डायबिटीज़ आज के समय में एक आम लेकिन गंभीर बीमारी बन चुकी है। यह रोग धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है और शुरुआत में इसके लक्षण बहुत हल्के होते हैं, इसलिए लोग इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। उम्र के साथ-साथ इसके लक्षण ज़्यादा दिखने लगते हैं, खासतौर पर 35 की उम्र के बाद। अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह बीमारी शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकती है।

1. बारबार प्यास लगना

अगर आपको थोड़ी-थोड़ी देर में बहुत ज़्यादा प्यास लगती है, तो यह डायबिटीज़ का संकेत हो सकता है। शरीर जब ब्लड में मौजूद अतिरिक्त शुगर को बाहर निकालता है, तो ज्यादा पेशाब आने लगता है जिससे शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है और बार-बार प्यास लगती है।

2. बारबार पेशाब आना

अगर आपको रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना पड़ता है, तो यह भी एक संकेत हो सकता है। शरीर ब्लड से ग्लूकोज़ को बाहर निकालने के लिए ज़्यादा काम करता है और इससे पेशाब ज़्यादा आता है।

3. अचानक वजन कम होना

अगर बिना कोई डायट या एक्सरसाइज़ किए आपका वजन कम हो रहा है, तो यह चिंता की बात हो सकती है। डायबिटीज़ में शरीर ग्लूकोज़ का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता, जिससे मसल्स टूटने लगते हैं और वजन घटता है।

4. थकान महसूस होना

अगर आप हमेशा थकावट महसूस करते हैं, भले ही आप ठीक से सोए हों, तो यह डायबिटीज़ का संकेत हो सकता है। शरीर को ऊर्जा नहीं मिल पाती जिससे कमजोरी और आलस्य बना रहता है।

5. धुंधली दृष्टि

ब्लड शुगर के बढ़ने से आंखों की नसों को नुकसान होता है, जिससे देखने में दिक्कत होती है। यह धुंधला दिखने या बार-बार चश्मा बदलने की ज़रूरत के रूप में सामने आ सकता है।

6. घावों का धीरे भरना

अगर छोटे-छोटे घाव भी जल्दी नहीं भर रहे हैं, तो यह डायबिटीज़ के कारण हो सकता है। हाई शुगर लेवल शरीर की हीलिंग पावर को धीमा कर देता है।

7. भूख बढ़ जाना

डायबिटीज़ से ग्रसित व्यक्ति को बार-बार भूख लगती है, भले ही उन्होंने हाल ही में खाना खाया हो। यह इस कारण होता है क्योंकि शरीर ग्लूकोज़ को ऊर्जा में बदलने में असमर्थ होता है।

8. हाथपैर में झनझनाहट

अगर आपके हाथ या पैरों में सुन्नपन या झनझनाहट महसूस होती है, तो यह डायबिटिक न्यूरोपैथी हो सकती है, जो कि नर्व्स को नुकसान पहुंचाने का संकेत है।

निष्कर्ष

डायबिटीज़ धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली बीमारी है, जिसकी पहचान शुरुआत में करना ज़रूरी है। 35 की उम्र के बाद अगर ये लक्षण दिखाई दें तो उन्हें नज़रअंदाज़ न करें। समय रहते जांच और इलाज से इस बीमारी को काबू में रखा जा सकता है।

महत्वपूर्ण नोट:
हमेशा महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संबंधी बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करें। वे आपकी मेडिकल हिस्ट्री और वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।

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